कविताएँ मूलतः भाव-प्रधान होती हैं। जब कवि कोई कविता रच रहा होता है तो उसका मन किसी विशेष मनोवेग, भाव अथवा रस से भरा होता है। अतः कविताएँ प्रायः मनोरंजक भी होती हैं। परंतु, मनोविनोद के साथ-साथ एक कल्याणकारी उद्देश्य भी इनके अंदर समाहित होता है। ये कुछ ऐसा है जैसे एक सुंदर, वास्तुकला से अलंकृत, भव्य मंदिर हर आने-जाने वालों को मनोरम एवं आकर्षक प्रतीत होता है। यदि पथिक मनोरंजन के उद्देश्य से भी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो भी गर्भ में भगवान को ही पाते हैं।
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युवा लेखक सुकांत रंजन मूलतः रामनगर, पश्चिम चंपारण, बिहार से ताल्लुक रखते हैं। लगभग 10 सालों से केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत जीएसटी एवं कस्टम विभाग में निरीक्षक के पद पर...